Dr. Shriji Seth
"भारतीय प्रजातंत्र में राज्य विधानमण्डल"
(म.प्र. के विशेष सन्दर्भ में)
SUMMARY OF THE FINDINGS
भारत की संसदात्मक शासन प्रणाली के स्वरूप को भली भांति समझने के लिए हमें इसके ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में झांकना होगा।राजनीति संस्थाएं ही हमारे राजनीतिक जीवन को आधार प्रदान करती है। राजनीति संगठित समाज का अध्ययन है और इसलिए समाजशास्त्र से उसको अलग नहीं किया जा सकता। यह सर्वविदित है कि कोई भी राजनैतिक कार्य व संस्था सामाजिक व्यवस्था से अलग नहीं होती है। राजनीति में होने वाली प्रक्रियाओं का अध्ययन एक व्यापक सामाजिक सन्दर्भ में ही उचित प्रकार से हो सकता है। इस शोध में भारत के संविधान, मध्यप्रदेश विधान सभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियमों, विधान सभा अध्यक्ष द्वारा दिये स्थायी आदेशों, विधान सभा सचिवालय तथा लोक सभा द्वारा समय-समय पर संसदीय कार्यो से संबंधित प्रकाशनों से सामग्री एकत्रित की गई है किन्तु उसकी अधिकारपूर्ण ढंग से व्याख्या करने का हमारा कोई दावा नहीं है। हमारे देष में शासन पद्धति के रूप में प्रतिनिधिक लोकतंत्र की स्थापना की गई है। संविधान में "जनमत संग्रह" या "पहल" जैसे किसी अभिकरण की परिकल्पना नहीं हे। भारतीय जनता सर्वप्रभुत्व संपत्र है। वह अपनी विधान मंडल के माध्यम से कार्य करती है। संसद तथा राज्य विधान मंडल व्यस्क मत के आधार पर निर्वाचित होते हैं। कार्यापालिका अर्थात् मंत्री परिषद् इन्हीं के प्रति उŸारदायी है। संघ के अध्यक्ष के रूप में एक निर्वाचित राष्ट्रपति होता है और प्रत्येक राज्य के अध्यक्ष के रूप में राष्ट्रपति द्वारा एक राज्यपाल नाम-निर्दिष्ट हो जाता है। मंत्री परिषद् अपने-अपने विधान मंडलों में जनता के प्रतिनिधियों के प्रति सामूहिक रूप से उŸारदायी है। संविधान सभी नागरिकों को अपने प्रतिनिधि चुनने के विषय में समानता प्रदान करता है। ये प्रतिनिधि सरकारी तंत्र को चलाते हैं।
संविधान के तहत् कुछ राज्य विधान मंडल एक सदनीय है और कुछ दो सदनीय। जहां किसी राज्य में दो सदन हों, वहां एक विधान परिषद् और दूसरा विधान सभा के नाम से जाना जाता है और जहां केवल एक ही सदन होता है, वहां विधान सभा के नाम से जाना जाता है। मध्यप्रदेष राज्य में फिलहाल एक सदन है।
ACHIEVEMENT FROM THE PROJECT-
विधानसभा राज्य की सर्वोच्च विद्यार्थी संस्था है, जो जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों के माध्यम से राज्य के प्रत्येक वर्ग की आषाओं एवं समस्याओं का सषक्त एवं कारगर ढंग से प्रतिनिधित्व करती है। विधान सभा का अतीत संसदीय उपलब्धियों का गौरवपूर्ण सुनहरा दस्तावेज है। संसदीय लोकतंत्र की यात्रा निरन्तर विधान सभा के माध्यम से प्रवर्तन में है और पूरे प्रदेष की धड़कन विधान सभा के सदन में सुनी जा सकती है।
CONTRIBUTION TO THE SOCIETY
मध्यप्रदेश शासन, संसदीय कार्य विभाग के विŸाीय नियंत्रण एवं विधान सभा प्रथम अध्यक्ष पद्मभूषण पंडित कंुजीलाल दुबे के नाम से दिनाँक 24.04.08 को पंडित कुंजीलाल दुबे राष्ट्रीय संसदीय विद्यापीठ की स्थापना की गई। यह म0प्र0 सोसायटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1973 (सन्1973 का क्रमाॅक 44) के अधीन पंजीकृत संस्था है, जो पुराना विधान सभा परिसर, तहसील हुजूर, जिला-भोपाल में स्थित है।
संसदीय विद्यापीठ एवं इसकी नियमावली मध्यप्रदेश सोसायटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1973 के अधीन पंजीकृत है। विद्यापीठ के कार्य संचालन हेतु साधारण सभा एवं प्रबंध समिति हैं तथा इसका कार्य क्षेत्र सम्पूर्ण मध्यप्रदेश है।
1. संसदीय लोकतंत्र के संबंध में लोक रूचि जागृत करने के लिए जन संचार माध्यमोें का उपयोग।
2. पंचायतों, स्वायत्तशासी संस्थाओं और विधान-मंडल के नव निर्वाचित सदस्यों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन करना तथा उसके लिए साहित्य तैयार करना।
3. संसद/विधान मण्डल/अन्य प्रतिनिधि संस्थाओं की कार्यवाही को प्रतिवेदित करने वाले पत्रकारों को प्रशिक्षण।
4. विधान मण्डल सचिवालयों और अन्य शासकीय एवं अर्द्धशासकीय तथा गैर सरकारी संस्थाओं के अधिकारियों/कर्मचारियों को प्रशिक्षण।
5. शालेय और महाविद्यालयीन स्तर पर जिला/संभागीय एवं राज्य स्तरीय आदर्श संसद प्रतियोगिता का आयोजन करना।
6. देश के विभिनन विधान मण्डलों के प्रक्रिया नियमों/अध्यक्षीय आदेशों, परिपाटियों का सार संग्रह तैयार करना और उसका प्रकाशन।
7. संविधान और संसदीय लोकतंत्र से संबंधित सैद्धांतिक विषयों पर इंटरफेकल्टी शोध कार्य सम्पादित करना।
8. संसदीय विषयों पर निबंध/लेख प्रतियोगिता/वाद विवाद/सेमीनार आयोजित करना।
9. संसदीय संग्रहालय एवं अभिलेखागार की स्थापना करना।
उपयुक्त कार्यक्रम विधानसभा सचिवालय के सहयोग से संचालित किए जाते हेैं।
SOME INNOVATION DONE BY MADHYA PRADESH VIDHAN SABHA
- Earlier Vidhan Sabha questions were manually forwarded to Departments, from Departments to HOD's. HOD's to field level offices in Districts and Districts to field level offices at Tehsilf Block level. same channel was followed for receiving of answers.
- This process was time, labour and cost consuming. Consequently, many questions remained unanswered and a huge amount of stationery was used in the process.
- Therefore with- a view to faster disposal of the Questions, in the meeting chaired by Chief Secretary, Govt. of Madhya Pradesh on 26.7.2007, a decision was made to develop software of Vidhan Sabha Questions Management System.
- Parliamentary Affairs Department of the State provided Rules, Procedure and literature of the Questions to National informatics Centre (MC) for developing software.
- All departments and offices were already connected with Local Area Network (LAN). For connecting to Vidhan Sabha Secretariat with the LAN, Science and Technology Department of the State providd technical assistance.
- NIC developed Software in two applications i.e., ePrashna and eUttar,
- ePrashna application Vidhan Sabha Secretariat collects thô qustiohs from MLA's and dispatches the questions to respective departments.
- eUttar application - Departments may forward questions to the concerned HOD's or may answer directly. HOD has the option to forward it to subordinate office. Same channel may be followed for receiving answers.
- Under ePrashna application, the Original Form submitted by the MLAs scanned and stored in the database for future reference. The unique Question ID was generated by the application. The application sorts out all the accepted questions of a specific 1-louse date from the database for dispatch to departments.
- Under eUttar application, questions are available to the departments through the application sharing a common database. Forwarding of questions to the Directorates and their Field Offices by the departments concerned. Preparation of answers and its submission to the concerned, MIS Reports at all levels for efficient management. Digitally Signed Answers submitted to Vidhan Sabha.
- Initially, the System was implemented in 8 departments i.e; Revenue, PHE, Panchayat and Rural development, Energy, Home, School Education, Health, Urban development and Environment.
- During the meeting chaired by Chief Secretary, Government of Madhya Pradesh held on 20.5.2014, information was given to all the departmental heads and HODs regarding software developed by NTC.
- Parliamentary Affairs Department issued instructions regarding operation of the software and organized training programmes for Nodal Officers, nominated from all the departments, time to time. Science and Technology Department made digital signature of the Nodal officers.
- The system was implemented in all Departments, HOD's, District and TehsillBlock level offices from June-July, 2014 Vidhan Sabha Sesssion.
- Stakeholders of the project are Hon'ble Members of Madhya Pradesh Legislative Assembly, Vidhan Sabha Secretariat, all administrative departments of Government, their directorates alongwith field offices throughout the State.
- The questions were forwarded at once to concerned level. Questions need not be retyped, answers were prepared with the application and forwarded upwards. The daily Question Answer List was generated through the application and sent to Government Press for printing.
- SMS alerts sent to ACS/PS/Secy/HODs/Nodal Officers regarding online dispatch of questions, status of pending questions, and transfer to other department, rejected or sent to MLA for clarification on departmental request and on rejection of answers.
- The questions were available online to departments for preparation of answers. Status of Member wise, Departrnent wise, House date wise, subjcctwise questions and questions of previous Sessions was also available online.
- Key features of the system are well managed repository of questions, human efforts and stationery costs reduced considerably. Number of Print-outs of questions reduced, authenticity and security of the data increased. Copies of large volume of Annexure with the answers avoided, speedy and accurate disposal of questions by the departments and submission of answers to Vidhan Sabha.
- Therefore, the system has become faster, error free, increased authenticity and has considerable improved the quality of service delivery. Questions and answers were available on the public domain which enhanced transparency and good Governance.
- The applications implemented in January, 2010 have completed 14 Vidhan Sabha Sessions successfully. About 61,584 questions registered and answers prepared.
- During December, 2014 Vidhan Sabha Session, 100% digitally signed answers were sent online to Vidhan Sabha Secretariat. The online ;yseiri is fully functional State wide as on date and vi1i be remained functional in futute.
- Perhaps, Madhya Pradesh is the first State in India, who have a system of fully online Vidhan Sabha questions and answers.
- On 12.12.2014, during the concluding speech delivered by Hontble Speaker, Vidhan Sabha congratulated the officers of Parliamentary Affairs Department, Science & Technology Department and N1C for providing online web-based solution of Vidhan Sabha questions.